
22 साल की लॉ स्टूडेंट और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली (Sharmishtha Panoli) इन दिनों सुर्खियों में हैं। एक इंस्टाग्राम वीडियो, एक पोस्ट और उसके बाद गिरफ्तारी — यह सब कुछ बहुत तेजी से हुआ। सिंदूर जैसे धार्मिक प्रतीक पर सवाल उठाना, और फिर उस पर केस दर्ज होना, एक बार फिर अभिव्यक्ति की आज़ादी बनाम धार्मिक भावनाओं की बहस को जन्म दे गया है।
लेकिन आखिर यह शर्मिष्ठा पनोली कौन हैं? उन्होंने ऐसा क्या कहा कि उन्हें कोलकाता पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया? और क्या यह एक धार्मिक भावनाओं का मुद्दा है या एक युवती की आवाज़ को दबाने की कोशिश?
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Sharmishtha Panoli कौन हैं?
Sharmishtha Panoli पुणे की रहने वाली एक 22 वर्षीय छात्रा हैं, जो लॉ की पढ़ाई कर रही हैं। इसके साथ-साथ वो एक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर भी हैं, जो इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर बेबाक राय रखती रही हैं।
उनकी शैली युवा वर्ग को खूब पसंद आती है, और वे अक्सर ट्रेंडिंग टॉपिक्स पर अपनी समझ और विचार साझा करती हैं।
वायरल हुआ ‘Op Sindoor’ वीडियो
मामला तब गरमाया जब शर्मिष्ठा ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें उन्होंने ‘Operation Sindoor’ को लेकर अपना नजरिया रखा। वीडियो में उन्होंने यह सवाल उठाया कि जब अन्य धर्मों के प्रतीकों पर टिप्पणी की जाती है तो वह नफरत कहलाती है, लेकिन हिंदू प्रतीकों जैसे सिंदूर को लेकर फिल्मों और मीडिया में मज़ाक उड़ाना क्यों आम हो गया है?
उनकी बातों को कुछ लोगों ने “धर्म विशेष के खिलाफ भड़काऊ” माना, वहीं कई लोगों ने इसे हिंदू प्रतीकों की रक्षा के लिए उठाई गई एक ईमानदार आवाज़ बताया।
गिरफ्तारी कैसे और क्यों हुई?
कोलकाता के वजाहत खान नामक व्यक्ति ने उनकी वीडियो को लेकर कोलकाता पुलिस में FIR दर्ज कराई। आरोप था कि शर्मिष्ठा ने अपने वीडियो में धार्मिक भावनाएं आहत कीं और सामाजिक वैमनस्य फैलाने की कोशिश की।
FIR में IPC की धारा 153A (समुदायों के बीच दुश्मनी फैलाना), 295A (धार्मिक भावनाएं आहत करना) और 505 (सार्वजनिक अशांति फैलाने वाला वक्तव्य) के तहत मामला दर्ज हुआ।
30 मई 2025 को Sharmishtha Panoli को गुरुग्राम से गिरफ़्तार किया गया और उन्हें कोलकाता ले जाकर अलीपुर महिला जेल में न्यायिक हिरासत में भेजा गया।
Sharmishtha Panoli की तबीयत और जेल की स्थिति
शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी के बाद उनके वकील समीमुद्दीन ने कोर्ट में बताया कि वह किडनी स्टोन से पीड़ित हैं और जेल में उन्हें न तो सही इलाज मिल रहा है और न ही जरूरी मेडिकल सपोर्ट।
उनकी मां ने भी चिंता जताई है कि जेल में उनकी बेटी को मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ रहा है।
सोशल मीडिया पर बंटा हुआ समर्थन और विरोध
इस पूरे मामले ने सोशल मीडिया को दो हिस्सों में बांट दिया है।
#JusticeForSharmishtha, #ReleaseSharmishthaPanoli, और #OpSindoor जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
एक पक्ष कह रहा है कि यह एक महिला की अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला है, वहीं दूसरा पक्ष इसे धार्मिक सौहार्द के खिलाफ जहर मान रहा है।
प्रसिद्ध क्रिएटर्स जैसे अनुभव मिश्रा और रजत शर्मा ने वीडियो जारी कर शर्मिष्ठा की रिहाई की मांग की है। वहीं कुछ लोग Sharmishtha Panoli पर कार्रवाई को सही ठहराते हुए कह रहे हैं कि “धार्मिक प्रतीकों पर टिप्पणी करना अभिव्यक्ति की आज़ादी नहीं हो सकती।”
राजनीतिक प्रतिक्रिया और नया मोड़
BJP नेता अग्निमित्रा पॉल ने इस गिरफ्तारी को “एकतरफा और तुष्टिकरण की राजनीति” बताया।
TMC प्रवक्ताओं का कहना है कि कानून के अनुसार कार्रवाई हुई है और पुलिस ने सिर्फ कर्तव्य निभाया है।
दिलचस्प बात यह है कि कोलकाता पुलिस ने बाद में शिकायतकर्ता वजाहत खान पर भी मामला दर्ज किया है, जिसकी वजह अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह केस और अधिक जटिल होता जा रहा है।
क्या यह मामला सिर्फ कानून का है या कुछ और?
इस मामले ने भारत में सोशल मीडिया, कानून और धर्म के बीच के संवेदनशील संतुलन को फिर से सबके सामने रख दिया है।
क्या किसी को अपनी बात रखने की इतनी बड़ी कीमत चुकानी चाहिए?
या फिर क्या सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हुए क्रिएटर्स को अपनी जिम्मेदारी का एहसास होना चाहिए?
कानून विशेषज्ञों की मानें तो “आज़ादी और जवाबदेही एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। अगर कोई कंटेंट धर्म से जुड़ा हो, तो उसे पोस्ट करने से पहले उसकी भाषा और भाव पर खास ध्यान देना जरूरी है।”
Sharmishtha Panoli की कहानी: सवाल आज़ादी का या न्याय का?
इस केस में Sharmishtha Panoli अब सिर्फ एक नाम नहीं, एक सवाल बन चुकी हैं।
क्या एक युवा लड़की ने गलत किया या सिर्फ एक विचार व्यक्त किया जिसे गलत समझ लिया गया?
भविष्य में कोर्ट इस पर फैसला देगा। लेकिन इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि आज के डिजिटल भारत में सोशल मीडिया पर बोलना आसान है, लेकिन उसकी कीमत बहुत भारी पड़ सकती है।