Jagdeep Dhankhar Resignation की खबर ने भारतीय राजनीति में हलचल मचा दी है। भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई 2025 को अपने पद से अचानक इस्तीफा दे दिया। उनके इस फैसले के पीछे स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया गया है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि Jagdeep Dhankhar Resignation का कारण क्या था, इसके बाद उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव की प्रक्रिया क्या होगी, और संभावित दावेदार कौन हैं।
Jagdeep Dhankhar Resignation क्यों हुआ?
Jagdeep Dhankhar Resignation का आधिकारिक कारण “स्वास्थ्य समस्याएं” बताया गया है। राष्ट्रपति भवन को भेजे गए त्यागपत्र में धनखड़ ने लिखा कि चिकित्सकीय सलाह पर वे अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर पा रहे हैं, इसलिए नैतिक रूप से यह उचित होगा कि वे पद छोड़ दें। हालांकि, उनके इस अचानक निर्णय से कई राजनीतिक विश्लेषकों को आश्चर्य हुआ है।
संवैधानिक प्रावधान क्या कहते हैं?
भारतीय संविधान के अनुसार, अगर कोई उपराष्ट्रपति अपने कार्यकाल के दौरान इस्तीफा देता है, तो जल्द से जल्द नए उपराष्ट्रपति का चुनाव किया जाना आवश्यक होता है। Jagdeep Dhankhar Resignation के बाद अब भारत निर्वाचन आयोग पर यह जिम्मेदारी है कि वह नई चुनाव प्रक्रिया की घोषणा करे।
उपराष्ट्रपति का चुनाव भारत के दोनों सदनों—लोकसभा और राज्यसभा—के निर्वाचित एवं मनोनीत सदस्यों द्वारा किया जाता है। मतदान में ‘सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम’ अपनाया जाता है।
अंतरिम अध्यक्ष कौन?
Jagdeep Dhankhar Resignation के बाद जब तक नया उपराष्ट्रपति नहीं चुन लिया जाता, तब तक राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह को अंतरिम अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वह संसद के मॉनसून सत्र की कार्यवाही को संचालित करेंगे।
एनडीए की स्थिति मजबूत
इस समय संसद में एनडीए के पास स्पष्ट बहुमत है। लोकसभा में 293 और राज्यसभा में 129 सांसद एनडीए के पास हैं। ऐसे में यह माना जा रहा है कि एनडीए जिसे भी उम्मीदवार बनाएगा, उसका उपराष्ट्रपति बनना लगभग तय है। यही वजह है कि विपक्ष फिलहाल रणनीति बनाने में जुटा है।
Jagdeep Dhankhar Resignation के बाद भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने आपात बैठकें शुरू कर दी हैं ताकि एक सर्वसम्मति उम्मीदवार को आगे बढ़ाया जा सके।
कौन हो सकते हैं संभावित उम्मीदवार?
Jagdeep Dhankhar Resignation के बाद सबसे बड़ा सवाल यही है कि अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा? राजनीतिक गलियारों में कई नाम चर्चा में हैं:
- हरिवंश नारायण सिंह – वर्तमान में राज्यसभा के उपसभापति हैं। अनुभव और कार्यशैली को देखते हुए NDA का प्रमुख चेहरा हो सकते हैं।
- नितिन गडकरी – संगठन और सरकार दोनों में अनुभव, मजबूत प्रशासक की छवि।
- राजनाथ सिंह – रक्षा मंत्री और वरिष्ठ नेता; अगर उन्हें नामित किया गया, तो यह संदेश देगा कि भाजपा वरिष्ठ नेताओं का सम्मान करती है।
- नितीश कुमार – यदि NDA और JDU के संबंध पूरी तरह सामान्य हो जाते हैं, तो यह नाम भी विचार योग्य हो सकता है।
हालांकि अभी तक भाजपा ने किसी नाम की आधिकारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन Jagdeep Dhankhar Resignation के बाद चल रही बैठकों से संकेत मिलते हैं कि अगले कुछ दिनों में नाम सामने आ सकता है।
विपक्ष की रणनीति
विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ भी इस मौके को हाथ से नहीं जाने देना चाहता। सूत्रों के अनुसार, विपक्ष एक ऐसे उम्मीदवार को खड़ा करने की सोच रहा है जो भाजपा के खिलाफ एकजुटता का प्रतीक हो। Jagdeep Dhankhar Resignation को विपक्ष एक अवसर की तरह देख रहा है, जहां वह अपनी एकता और ताकत को दिखा सके।
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Jagdeep Dhankhar का अब तक का सफर
Jagdeep Dhankhar Resignation से पहले उनका राजनीतिक सफर काफी लंबा और प्रभावशाली रहा है। एक समय के कांग्रेस नेता रहे धनखड़ बाद में भाजपा से जुड़े। वे राजस्थान के राज्यपाल भी रहे हैं और 2022 में उन्हें उपराष्ट्रपति पद के लिए भाजपा ने नामित किया था। अपने कार्यकाल में उन्होंने कई बार संसद की कार्यवाही को दृढ़ता से संचालित किया।
उनकी कार्यशैली को लेकर कभी-कभी विवाद भी हुआ, खासकर जब वे विपक्षी नेताओं के साथ सख्त लहजे में पेश आते थे। लेकिन उनके प्रशंसक उन्हें एक “सख्त लेकिन निष्पक्ष” नेता मानते हैं।
अब आगे क्या?
Jagdeep Dhankhar Resignation के बाद चुनाव आयोग अगले कुछ दिनों में उपराष्ट्रपति चुनाव की तारीखों की घोषणा करेगा। यह संभावना जताई जा रही है कि अगस्त के अंतिम सप्ताह या सितंबर की शुरुआत में चुनाव कराए जाएंगे।
जो भी नया उपराष्ट्रपति चुना जाएगा, वह पूर्ण 5 वर्षों का कार्यकाल करेगा, न कि केवल बचा हुआ कार्यकाल।
निष्कर्ष
Jagdeep Dhankhar Resignation एक संवैधानिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण घटना है। इससे एक तरफ जहां उपराष्ट्रपति पद के लिए नई दौड़ शुरू हो गई है, वहीं विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच फिर से एक नई राजनीतिक लड़ाई की शुरुआत हो गई है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अगला उपराष्ट्रपति कौन बनता है, और क्या यह चुनाव भी आगामी लोकसभा चुनाव 2029 की रणनीति को प्रभावित करेगा?