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Jagannath Rath Yatra 2025: भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का पौराणिक महत्व और मौसी घर की कथा

On: June 29, 2025 8:42 PM
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Jagannath Rath Yatra 2025

Jagannath Rath Yatra 2025 का आयोजन इस वर्ष 7 जुलाई 2025 को भव्य रूप में पुरी (ओडिशा) में किया जाएगा। यह यात्रा भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के रथों पर सवार होकर मंदिर से बाहर मौसी के घर तक जाने की परंपरा है। यह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा और सामाजिक एकता का अद्भुत संगम है।

जगन्नाथ रथ यात्रा का पौराणिक महत्व

Jagannath Rath Yatra 2025 की शुरुआत हजारों साल पहले से मानी जाती है। इस पर्व को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से प्रमुख कथा भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी हुई है। मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ, भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण ही हैं।

एक कथा के अनुसार जब द्वारका में श्रीकृष्ण के निधन के बाद उनका पार्थिव शरीर नदी में बहाया गया, तो उनकी हड्डियों को (जिसे ‘नीलमाधव’ कहा गया) पुरी लाया गया और वहीं उन्हें भगवान जगन्नाथ के रूप में प्रतिष्ठित किया गया।

मौसी के घर जाने की कथा

Jagannath Rath Yatra 2025 के दौरान भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा तीनों रथों पर सवार होकर पुरी स्थित गुंडिचा मंदिर (जिसे मौसी का घर कहा जाता है) जाते हैं। यह यात्रा करीब 3 किलोमीटर लंबी होती है।

मौसी का घर जाना एक प्रतीकात्मक परंपरा है। कहा जाता है कि भगवान साल में एक बार अपनी मौसी के घर विश्राम करने जाते हैं और वहां नौ दिन तक रहते हैं। इस दौरान उन्हें ‘पोडा पीठा’ नामक ओडिशा की पारंपरिक मिठाई खिलाई जाती है। नौ दिन बाद वे पुनः रथों द्वारा जगन्नाथ मंदिर लौटते हैं, जिसे ‘बहुड़ा यात्रा’ कहा जाता है।

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रथ यात्रा के मुख्य आकर्षण

  1. तीनों रथों के नाम और स्वरूप
    • नंदिघोष रथ – भगवान जगन्नाथ का रथ, 16 चक्कों वाला और लाल-पीला रंग का
    • तालध्वज रथ – बलभद्र जी का रथ, 14 चक्कों वाला और नीले-हरे रंग का
    • दर्पदलना रथ – सुभद्रा जी का रथ, 12 चक्कों वाला और काले-लाल रंग का
  2. रथ खींचने की परंपरा
    लाखों श्रद्धालु इन रथों को रस्सियों से खींचते हैं। ऐसा माना जाता है कि रथ खींचने से पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  3. गुंडिचा मंदिर में नौ दिन का प्रवास
    भगवान का यह प्रवास बहुत ही भक्तिपूर्ण वातावरण में होता है। पुरी शहर में इन दिनों मेले जैसा माहौल होता है।

Jagannath Rath Yatra 2025 तिथि और समय

🔢 दिन📆 तिथि📜 रस्म / कार्यक्रमविवरण
127 जून 2025 (शुक्रवार)मंगल आरतीभगवान को जगाने की पूजा, उत्सव की शुरुआत
228 जून 2025नेत्र उत्सव / नयनों का निर्माणभगवान की आंखें फिर से बनाई जाती हैं (क्योंकि स्नान के बाद वे विश्राम करते हैं)
329 जून – 5 जुलाई 2025रथ सज्जा व रथ निर्माणतीनों रथों को पारंपरिक ढंग से सजाया जाता है
46 जुलाई 2025 (रविवार)पुरी मंदिर से मूर्तियों का बाहर आना (पाहंडी यात्रा)भगवान रथों तक आते हैं – भक्त झूम उठते हैं
57 जुलाई 2025 (सोमवार)🛕 मुख्य रथ यात्रा (Rath Yatra)भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर जाते हैं
6–138 जुलाई – 14 जुलाईगुंडिचा मंदिर में प्रवासभगवान मौसी के घर 7 दिन रुकते हैं और भक्तों को दर्शन देते हैं
1415 जुलाई 2025 (मंगलवार)बहुड़ा यात्रा (वापसी यात्रा)भगवान पुनः जगन्नाथ मंदिर लौटते हैं
1516 जुलाई 2025 (बुधवार)नीलाद्री बिजयभगवान का अपने गर्भगृह में पुनः प्रवेश होता है, रथ यात्रा का समापन

जगन्नाथ रथ यात्रा की खास बातें

  • यह दुनिया की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी रथ यात्राओं में से एक है।
  • UNESCO ने इसे ‘Intangible Cultural Heritage’ के रूप में मान्यता दी है।
  • इस यात्रा में हर धर्म, जाति और वर्ग के लोग भाग लेते हैं।

समापन

Jagannath Rath Yatra 2025 केवल धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि एक ऐसा अवसर है जिसमें प्रेम, भक्ति और एकता का संदेश छिपा होता है। भगवान जगन्नाथ का यह यात्रा करना हर भक्त के लिए सौभाग्य की बात होती है। रथ यात्रा की भव्यता, श्रद्धा और इसकी पौराणिक गाथाएं इसे विश्वभर में अद्वितीय बनाती हैं।

Mohit Singh Tomar

My name is Mohit Singh Tomar, a passionate student and aspiring journalist from Morena, Madhya Pradesh. With a keen interest in news writing and digital media, I created Khabar Apke Dwar to deliver accurate, timely, and engaging news updates to readers across India. I strive to ensure that every headline reaches you with clarity, credibility, and commitment.

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