
Indus Water Treaty 2025 को लेकर हाल ही में भारत ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। 22 अप्रैल 2025 को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने इस संधि पर आंशिक रूप से निलंबन लागू करने का ऐलान किया। इससे पाकिस्तान और भारत के बीच जल विवाद ने एक नया मोड़ लिया है। भारत सरकार ने संधि के तहत पाकिस्तान को दी जाने वाली जल आपूर्ति और जानकारी को बंद करने का निर्णय लिया है, जिससे दोनों देशों के बीच जल संकट और राजनीतिक तनाव की स्थिति पैदा हो गई है।
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प्रस्तावना
Indus Water Treaty 2025 एक बार फिर से चर्चा में है। 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने इस ऐतिहासिक जल संधि को लेकर बड़ा फैसला लिया है। पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठनों की गतिविधियों से नाराज भारत सरकार ने इस समझौते को आंशिक रूप से निलंबित करने का निर्णय लिया है। इससे दोनों देशों के बीच पहले से चल रहे भारत-पाकिस्तान जल विवाद में और अधिक तनाव देखने को मिल रहा है।
सिंधु जल संधि क्या है?
सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) वर्ष 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुई थी। इसका मकसद था छह प्रमुख नदियों — सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज — के जल का न्यायसंगत वितरण करना।
संधि के प्रमुख प्रावधान:
- भारत को पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास, सतलुज) पर पूर्ण अधिकार।
- पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) का उपयोग।
- भारत को पश्चिमी नदियों पर सीमित परियोजनाओं की अनुमति (जैसे पनबिजली)।
2025 में क्यों बढ़ा विवाद?
इस वर्ष अप्रैल में हुए कश्मीर आतंकी हमले के बाद, भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए, Indus Water Treaty 2025 पर पुनर्विचार का निर्णय लिया। भारत ने जल डेटा साझा करना बंद कर दिया और पश्चिमी नदियों पर अधिक नियंत्रण की तैयारी शुरू कर दी है।
भारत की रणनीति:
- नए डैम और जल परियोजनाओं की घोषणा।
- सिंधु नदी का जल अपने हिस्से तक रोकने की योजना।
- जल को रणनीतिक हथियार के रूप में उपयोग करने की पहल।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान ने भारत के इस निर्णय को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आवाज उठाई है। उसने इसे एकतरफा और आक्रामक क़दम बताया है। पाकिस्तान के अनुसार, यदि भारत सिंधु नदी का जल रोकता है, तो उसकी कृषि व्यवस्था और पीने के पानी की आपूर्ति पर गंभीर असर पड़ेगा।
पाकिस्तान की प्रमुख प्रतिक्रियाएं:
- संयुक्त राष्ट्र में शिकायत।
- OIC से समर्थन की मांग।
- भारत से वीजा सेवाओं पर रोक लगाने की घोषणा।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया
Indus Water Treaty 2025 पर दुनिया भर की नजरें हैं। संयुक्त राष्ट्र और विश्व बैंक ने दोनों देशों से शांति बनाए रखने और बातचीत के जरिए समाधान खोजने की अपील की है।
- UN: दोनों देशों को बातचीत की मेज़ पर आने की सलाह।
- World Bank: “हम निगरानी कर रहे हैं, जल्द हस्तक्षेप संभव।”
- US और UK: जल संधि में किसी भी बदलाव से दक्षिण एशिया की स्थिरता प्रभावित हो सकती है।
क्या यह जल युद्ध की ओर इशारा है?
जल विशेषज्ञों और कूटनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच India Pakistan Water Conflict 2025 गहराया, तो यह स्थिति एक Water War की ओर बढ़ सकती है।
संभावित खतरे:
- पाकिस्तान की 90% कृषि नदियों पर निर्भर।
- भारत में भी पंजाब, जम्मू-कश्मीर में जल परियोजनाओं की नई योजनाएं।
- आम जनता के जीवन और फसलों पर सीधा प्रभाव।
जलवायु परिवर्तन और जल संकट
जलवायु परिवर्तन ने पहले ही हिमालयी ग्लेशियरों के पिघलने की गति को बढ़ा दिया है, जिससे Indus River System में पानी की उपलब्धता पर असर पड़ रहा है। ऐसे में यह विवाद और भी अधिक गंभीर हो सकता है।
समाधान क्या हो सकते हैं?
- संधि का पुनर्मूल्यांकन: वर्तमान हालातों के हिसाब से शर्तों का पुनरावलोकन।
- द्विपक्षीय वार्ता: भारत-पाक के बीच खुला संवाद आवश्यक।
- विश्व बैंक की मध्यस्थता: पुराने समझौते की समीक्षा के लिए एक नया ढांचा।
- जल-साझा डेटा प्रणाली: पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में कदम।
निष्कर्ष
Indus Water Treaty 2025 पर छिड़ी यह नई बहस दर्शाती है कि पानी अब सिर्फ जीवन का स्रोत नहीं, बल्कि रणनीति का हिस्सा बन चुका है। अगर भारत और पाकिस्तान समय रहते इस संधि पर फिर से संतुलन नहीं बनाते, तो यह पूरा क्षेत्र जल संकट की चपेट में आ सकता है।
जल संकट के इस नए अध्याय में सभी की निगाहें दोनों देशों की अगली चाल पर टिकी हुई हैं। अब सवाल यह है — क्या बातचीत के रास्ते फिर से खुलेंगे या जल युद्ध की शुरुआत होगी?
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