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Hariyali Amavasya 2025: हरियाली का उत्सव और पौराणिक महत्व

On: July 22, 2025 11:12 PM
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Hariyali Amavasya 2025
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भारत विविधताओं और पर्वों की भूमि है। हर मौसम, हर ऋतु का स्वागत एक खास पर्व के साथ होता है। ऐसे ही श्रावण मास में आने वाला पर्व Hariyali Amavasya 2025 न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पर्यावरण और लोकसंस्कृति से भी गहराई से जुड़ा है। आइए जानते हैं इस पर्व की खास बातें।

Hariyali Amavasya 2025 कब है?

Hariyali Amavasya 2025 इस बार 24 जुलाई 2025, गुरुवार को पड़ रही है। यह श्रावण मास की अमावस्या होती है, जो हर साल सावन महीने में आती है और पूरे उत्तर भारत में बड़े हर्षोल्लास से मनाई जाती है।

धार्मिक मान्यता और पौराणिक कथा

पुराणों के अनुसार, Hariyali Amavasya भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन का दिन माना जाता है। इस दिन व्रत रखकर शिव-पार्वती की पूजा करने से विवाह संबंधी परेशानियां दूर होती हैं। कुंवारी कन्याएं योग्य वर की प्राप्ति हेतु व्रत रखती हैं और विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।

पूजा विधि

Hariyali Amavasya 2025 पर पूजा की विधि इस प्रकार है:

  1. प्रातः स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  2. घर के मंदिर में शिव-पार्वती की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं।
  3. बेलपत्र, अक्षत, धतूरा, शमीपत्र से पूजा करें।
  4. व्रत की कथा सुनें और आरती करें।
  5. जरूरतमंदों को भोजन और दान करें।

Hariyali Amavasya और पर्यावरण संरक्षण

Hariyali Amavasya 2025 का एक और पहलू है – हरियाली और वृक्षारोपण। यह दिन प्रकृति से जुड़ने का संदेश देता है। कई स्थानों पर इस दिन वृक्षारोपण किया जाता है। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि जीवन को हरा-भरा बनाए रखने के लिए पेड़-पौधों की रक्षा ज़रूरी है।

क्षेत्रीय परंपराएं और मेले

Hariyali Amavasya 2025 के दिन कई राज्यों में पारंपरिक मेले और झूले लगाए जाते हैं:

  • राजस्थान: जयपुर के प्रसिद्ध तीज मेले के साथ हरियाली अमावस्या पर विशाल मेला भरता है।
  • उत्तर प्रदेश: वृंदावन और मथुरा में श्रद्धालु इस दिन विशेष पूजा और कीर्तन करते हैं।
  • मध्य प्रदेश: ग्वालियर, उज्जैन और चंबल अंचल में ग्रामीण क्षेत्रों में मेले और झूले लगते हैं।

महिलाओं के लिए विशेष दिन

इस दिन महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में सज-धज कर झूला झूलती हैं, गीत गाती हैं और शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। विवाहित महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं और अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं।

Hariyali Amavasya का आध्यात्मिक संदेश

Hariyali Amavasya 2025 न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह मन, प्रकृति और समाज के बीच सामंजस्य का प्रतीक है। यह दिन हमें सिखाता है कि जीवन में हरियाली यानी सकारात्मकता बनाए रखने के लिए तप, सेवा और दान जैसे गुणों की ज़रूरत होती है।

Hariyali Amavasya 2025 और ध्यान-साधना

अमावस्या का दिन वैसे भी ध्यान और साधना के लिए उत्तम माना जाता है। Hariyali Amavasya 2025 के दिन ध्यान, योग और मौन व्रत करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है और आत्मा का शुद्धिकरण होता है।

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Hariyali Amavasya पर सामाजिक सेवा

इस दिन लोग गरीबों को वस्त्र, अन्न और दान देते हैं। बहुत से समाजसेवी संस्थान इस दिन सामूहिक वृक्षारोपण और सफाई अभियान चलाते हैं। Hariyali Amavasya 2025 को यदि हम सामाजिक परिवर्तन के रूप में लें, तो यह एक सकारात्मक आंदोलन बन सकता है।

Hariyali Amavasya 2025 से जुड़ी जरूरी बातें (Quick Facts)

जानकारीविवरण
तिथि24 जुलाई 2025, गुरुवार
मासश्रावण मास
पूजा देवताभगवान शिव और माता पार्वती
प्रमुख गतिविधियांव्रत, पूजा, झूले, मेले, वृक्षारोपण
महत्वधार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय

Hariyali Amavasya 2025 केवल एक पर्व नहीं, बल्कि हमारे जीवन में हरियाली लाने का एक प्रयास है। यह दिन हमें धर्म, प्रकृति और समाज के साथ संतुलन बनाने की प्रेरणा देता है। यदि हम इस अवसर पर एक पौधा भी लगाएं, तो यह सच्चे अर्थों में इस पर्व को सार्थक बना देगा।

Mohit Singh Tomar

My name is Mohit Singh Tomar, a passionate student and aspiring journalist from Morena, Madhya Pradesh. With a keen interest in news writing and digital media, I created Khabar Apke Dwar to deliver accurate, timely, and engaging news updates to readers across India. I strive to ensure that every headline reaches you with clarity, credibility, and commitment.

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