संत श्री बालक दास जी महाराज ने महाराणा प्रताप जीपुष्प अर्पित कर महारैली को हरी झंडी दिखाकर किया शुभारंभ, क्षत्रिय समाज सहित सर्व समाज की भागीदारी
अंबाह (मुरैना), 9 मई: वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप जी की जयंती के अवसर पर अंबाह नगर में आज एक भव्य और ऐतिहासिक महारैली का आयोजन किया गया। इस रैली में क्षत्रिय समाज सहित सर्व समाज के हजारों लोगों ने उत्साह और श्रद्धा के साथ भाग लिया। आयोजन ने नगर में राष्ट्रभक्ति, सामाजिक एकता और सांस्कृतिक चेतना का संदेश दिया।

संत शिरोमणि बाबा बालक दास जी महाराज ने हरी झंडी दिखाकर किया शुभारंभ
इस आयोजन की विशेषता यह रही कि क्षेत्र के प्रसिद्ध संत श्री श्री 1008 बाबा बालक दास जी महाराज स्वयं उपस्थित रहे और उन्होंने महाराणा प्रताप जी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर हरी झंडी दिखाकर रैली का शुभारंभ किया। संत श्री की उपस्थिति ने आयोजन को आध्यात्मिक गरिमा भी प्रदान की।

पिनाहट रोड से प्रारंभ होकर प्रमुख मार्गों से गुजरी रैली
यह विशाल महारैली पिनाहट रोड से प्रारंभ होकर पोरसा चौराहा, जग्गा चौराहा, मोरेना तिराहा, होटल चौराहा और नगर पालिका कार्यालय होते हुए महाराणा प्रताप पार्क पर संपन्न हुई। नगर में रैली का स्वागत फूलों की वर्षा, जलपान और देशभक्ति गीतों से किया गया।
घोड़े, बैंड-बाजे और पारंपरिक परिधान बने आकर्षण का केंद्र

रैली में घोड़े, पारंपरिक वेशभूषा, बैंड-बाजे और ढोल-नगाड़ों के साथ नगरवासियों का उत्साह देखते ही बन रहा था। नगर के कोने-कोने से आए युवाओं और बच्चों ने भी बड़ी संख्या में भाग लिया।
प्रशासन का पूर्ण सहयोग, TI सतेंद्र सिंह कुशवाह ने संभाला मोर्चा
इस आयोजन को सफल बनाने में अंबाह प्रशासन की भूमिका भी सराहनीय रही। अंबाह थाना प्रभारी श्री सतेंद्र सिंह कुशवाह जी ने स्वयं मोर्चा संभालते हुए रैली के लिए प्रशासनिक बंदोबस्त और सुरक्षा व्यवस्था को सुनियोजित ढंग से सुनिश्चित किया। नगरवासियों ने प्रशासन की व्यवस्था की सराहना की।
समापन समारोह में दिया गया एकता और स्वाभिमान का संदेश
रैली का समापन महाराणा प्रताप पार्क पर हुआ, जहां वक्ताओं ने महाराणा प्रताप जी के जीवन से प्रेरणा लेने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप जी त्याग, स्वाभिमान और देशभक्ति के अद्वितीय प्रतीक हैं, जिनकी गाथा हर भारतीय को प्रेरित करती है।
समाज की एकता और सेवा भावना का उत्कृष्ट उदाहरण
इस आयोजन में क्षत्रिय समाज, सामाजिक संगठनों, युवाओं और स्थानीय प्रशासन की सहभागिता और समर्पण ने इसे एक ऐतिहासिक आयोजन बना दिया। यह रैली न केवल अंबाह बल्कि पूरे चंबल अंचल में एकता, वीरता और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक बन गई है।
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